नागपुर में हाल ही में औरंगजेब के मकबरे को लेकर हुए विवाद ने शहर में हिंसा और तनाव का माहौल पैदा कर दिया है। इस विवाद के बाद पुलिस पर पथराव और आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। इस लेख में हम इस विवाद की पृष्ठभूमि, घटनाक्रम, और इसके प्रभावों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
विवाद की पृष्ठभूमि
17वीं शताब्दी के मुगल सम्राट औरंगजेब की मृत्यु के बाद उनका मकबरा महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है। हाल ही में, विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने इस मकबरे को हटाने की मांग की, जिससे नागपुर में तनाव बढ़ गया। VHP का कहना है कि वे इस स्थान पर मराठा समुदाय के शासकों के लिए एक स्मारक बनाना चाहते हैं।
घटनाक्रम
सोमवार को नागपुर में VHP के सदस्यों ने औरंगजेब का पुतला जलाया और उसके मकबरे को हटाने की मांग करते हुए नारेबाजी की। इसके बाद, मुस्लिम समुदाय के कुछ सदस्यों ने पुलिस स्टेशन के पास मार्च किया और पथराव किया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। इस हिंसा में 15 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, जिनमें से एक की हालत गंभीर है।
CCTV फुटेज से खुलासा
हिंसा के दौरान के CCTV फुटेज सामने आए हैं, जिनमें दंगाइयों को तलवारें और हथियार लहराते हुए, वाहनों में तोड़फोड़ करते हुए देखा जा सकता है। इन फुटेज में उपद्रवियों ने मास्क पहन रखे थे और वे तेज धार वाले हथियारों से लैस थे। इससे स्पष्ट होता है कि हिंसा पूर्व नियोजित थी।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हिंसा की निंदा की है और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा, “मैंने पुलिस आयुक्त को आवश्यक सख्त कदम उठाने के लिए कहा है।”
पुलिस ने अब तक 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है और हिंसा में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। शहर के कुछ हिस्सों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया है ताकि स्थिति को नियंत्रण में लाया जा सके।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
VHP ने हिंसा में शामिल होने के आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि उनका उद्देश्य केवल मकबरे को हटाकर मराठा शासकों के लिए स्मारक बनाना है। VHP के महासचिव मिलिंद परांडे ने एक वीडियो संदेश में कहा, “हम हिंसा में शामिल नहीं हैं। हमारा उद्देश्य मराठा शासकों के लिए स्मारक बनाना है।”
नागपुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का मुख्यालय भी है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (BJP) से संबद्ध है। इसलिए, इस विवाद का राजनीतिक महत्व भी बढ़ गया है। प्रधानमंत्री मोदी के आलोचकों ने उन पर मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करने और उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है, जिसे उन्होंने और उनकी सरकार ने खारिज किया है।
सामाजिक प्रभाव
इस विवाद ने नागपुर में साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ा दिया है। हिंसा के बाद, शहर में भय और असुरक्षा का माहौल है। व्यापारिक गतिविधियाँ प्रभावित हुई हैं और लोग अपने घरों में रहने को मजबूर हैं। शहर के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवाएँ भी बंद कर दी गई हैं ताकि अफवाहों को रोका जा सके।
निष्कर्ष
नागपुर में औरंगजेब विवाद ने शहर में हिंसा और तनाव को जन्म दिया है। इससे न केवल कानून व्यवस्था प्रभावित हुई है, बल्कि साम्प्रदायिक सौहार्द्र भी खतरे में पड़ गया है। ऐसे में, सभी समुदायों को शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए मिलकर काम करना होगा। प्रशासन को भी सख्त कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।
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